ऊँचडीह धाम,प्रतापगढ़ के दक्षिण और इलाहाबाद के उत्तर में प्रसिद्द पांडवकालीन पौराणिक स्थल भयहरणनाथ धाम से ३०० मीटर की दूरी पर सोराव तहसील (इलाहाबाद) के अंतर्गत स्थित है|पौराणिक कथाओ के अनुसार ऊँचडीह ग्राम का प्राचीन नाम ' डीहनगर' जिसका उल्लेख महाभारत की कथाओ में आता है|यहाँ पांडव अज्ञातवास के दौरान प्रवास किये थे और यही पर भीम ने राक्षस बकासुर का वध किया था|पांडव कालीन मुर्तिया एवं उनके अवशेष यहाँ आज भी मौजूद है|यहाँ की कई महाभारत कालीन भग्न अवशेष इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित रखे है|
Unchdeeh Dham
ऊँचडीह धाम की अधिक जानकारी हम अपनी वेबसाइट पर शीघ्र प्रस्तुत करेंगे|
|भयहरण नाथ धाम की जय|
वेबसाइट : www.bhayaharannathdham.com
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बकासुर का वध क्यों किया भीम ने? कुंती के कहने पर भीम बकासुर के लिए भोजन लेकर वन में गए और उसका नाम लेकर पुकारने लगे। लेकिन बहुत देर तक जब वह राक्षस नहीं आया तो उसके लिए लाया भोजन स्वयं ही खाने लगे। थोड़ी देर बाद जब बकासुर आया तो उसने देखा कि भीमसेन उसका भोजन खा रहे हैं। यह देखकर वह बहुत क्रोधित हुआ और भीमसेन को मारने के लिए दौड़ा। भीमसेन ने उसकी और देखा और उसका तिरस्कार करते हुए भोजन करते रहे। इससे बकासुर और भी क्रोधित हो गया और वृक्ष उखाड़कर भीम की और दौड़ा।
तब तक भीम सारा खाना खा चुके थे। बकासुर को वृक्ष लेकर आता देख भीमसेन ने भी वृक्ष उखाड़ लिया। इस प्रकार दोनों में भयंकर युद्ध होने लगा। बहुत देर तक लडऩे पर जब बकासुर थक गया तो भीमसेन ने उसे जमीन पर पटक दिया और गला दबा कर उसका वध कर दिया। भीम बकासुर की लाश लेकर नगर के द्वार पर आए और वहां उसे पटककर चुपचाप चले गए। सुबह जब नगरवासियों ने बकासुर के शव को देखा तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ।
उन्होंने समझा कि यह उसी ब्राह्मण का काम है जिसे कल भोजन लेकर बकासुर के पास जाना जाना था। सभी लोग एकत्रित होकर उस ब्राह्ण के घर आए और उसकी प्रशंसा करने लगे। तब उस ब्राह्ण ने सत्य छुपाते हुए नगरवासियों से कह दिया कि मेरे स्थान पर एक सिद्ध ब्राह्मण राक्षस का भोजन लेकर गए थे। उन्होंने ही बकासुर का वध किया होगा। यह सुनकर सभी लोग खुश हो गए और नगर में उत्सव मनाने लगे। पं. मुकुन्द देव शुक्ला
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