Bhayaharan Nath Dham Kshetriya Vikas Santhan

Pratapgarh Uttar Pradesh

May 29, 2011

बाबा भयहरणनाथ धाम का इतिहास





प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से समृद्ध रहा है। खास कर महाभारत काल की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का जिला साक्षी रहा है। अजगरा में राजा युधिष्ठिर व यक्ष का संवाद हुआ था। जिले के ही भयहरणनाथ धाम में पाण्डवों ने लोगों को बकासुर के आतंक से मुक्ति दिलाई थी। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां शिवलिंग स्थापित किया था। यहां पाण्डवों की यादें आज भी ताजा हैं। मलमास में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए यहां आज भी श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है।
जनपद मुख्यालय से 30 किमी दक्षिण इलाहाबाद की सीमा पर बकुलाही नदी के किनारे पूरे तोरई, ग्राम कटरा गुलाब सिंह में भयहरणनाथ धाम स्थित है। मान्यता है कि महाराज युधिष्ठिर ने अपने चारों अनुजों के साथ यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। लाक्षागृह से सकुशल बच निकलने के बाद पाण्डव द्वैतवन पहुंचे। इसी वन में पाण्डवों से वेद व्यास मिले। उन्होंने पाण्डवों को चक्रनगरी जो वर्तमान में चकवड़ के नाम से जाना जाता है, एक ब्राह्मणी के घर रहने के लिए स्थान दिला दिया। महाभारत आदि ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख है।
एक दिन वह ब्राह्मणी रो रही थी। तब माता कुंती ने उससे रोने का कारण पूछा। वृतांत के अनुसार वहां एक बकासुर नामक राक्षस रहता था। वह उदरपूर्ति के लिए एक व्यक्ति का प्रतिदिन भक्षण करता था। उस दिन उसके इकलौते पुत्र की बारी थी। वृतांत सुनने के बाद कुंती ने उस बूढ़ी औरत को आश्वस्त किया कि उसका पुत्र नहीं मारा जायेगा। उसी समय युधिष्ठिर ने इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर अपने अनुज भीम को उस राक्षस का वध करने के लिए भेजा। भीम ने बकासुर का वध कर क्षेत्र को भय से मुक्ति दिला दी। तब से इस शिवलिंग का नाम भयहरणनाथ के नाम से हुआ।

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1 comments:

● भाग्य का साथ चाहें तो करें ऐसी शिव उपासना● भगवान शिव का स्वरूप अनादि, अनंत, अजन्मा माना जाता है। जिसका मतलब है वह ऐसे देवता है जिनका न जन्म हुआ है, न उनकी मृत्यु होती है। शिव का ऐसा ही दिव्य और निराकार रूप शिवलिंग है। धर्म परंपराओं में लिंग पूजा बाणलिंग, पार्थिव लिंग सहित अनेक रूपों में की जाती है।...!!ॐ नमः शिवाय !!●

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