Bhayaharan Nath Dham Kshetriya Vikas Santhan

Pratapgarh Uttar Pradesh

July 24, 2011

भयहरण नाथ धाम की गाथा


हर धामई मा धाम निराला,भयहरण नाथ धाम हो।
बगल बहत बा बाकुलि नदिया,इ धामई के शान हो।।
बरगद के जट लटकत बाटे,दस मंदिर के धाम हो।
भोला नाथ पुजारी बाटेन,भोले शंकर के दास हो।।

हर धामई मा धाम निराला,भयहरण नाथ धाम हो।

हर मंगल के भीड़ लगत है,जल दूध चढ़ै अथाह हो।
यग्य कुण्ड विराजत बाटई,फुलवारी के बाग हो।।ब
गल गाँव बा पूरे तोरई,ऊँचडीह के साथ हो।
रक वाटिका जहाँ विराजे,ग्यान मंदीर के लाभ हो।।

हर धामई मा धाम निराला,भयहरण नाथ धाम हो।

बकासुर-पांडव की गाथा,चर्चा अमिट बखान हो।
गौरा-दुर्गा व वैष्णवी,का धानी परिधान हो।।
गुलाब-मेदनी से महकत है,भूमि पवित्र इतिहास हो।।
नागा के चर्चा बा अबहुँ,गाँव-गली घर द्वार हो।।

हर धामई मा धाम निराला,भयहरण नाथ धाम हो।

जहाँ लालता की यादें,रविशंकर की छाया हो।
वहाँ प्राण की अगुवाई,जुड़ता यहाँ समाज हो।
आर्य-आचार्य उत्पन्न कर रहा,ग्यानपीठ परिवार हो।
राज-तिलक जो करे नित्य,दण्डी स्वंय महान हो।।

हर धामई मा धाम निराला,भयहरण नाथ धाम हो।

गुरू का महाप्रसाद बरसता,शिव जैसा जो सेवक हो।
महारानी का वास यहाँ,मुरली घर वंशी बजाते हो।।
हरि का स्वयं प्रबन्धन है,प्रेम का सागर जहाँ पे हो।
राजकुमार का संयोजन,व ब्रह्मा की दवा बरसती हो।।

हर धामई मा धाम निराला,भयहरण नाथ धाम हो।

बा भोलेनाथ के कृपा से बाबू,आस-पास मुस्कान हो।
हर धामई मा धाम निराला,भयहरणनाथ धाम हो।।

**भगवान श्री भव भयहरण नाथ  जी की जय**




1 comments:

शिव पूजन के प्रभाव से असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाता है तथा मानव इस पृथ्वी के समस्त सुखों को प्राप्त करते हुए मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। मुकुन्द देव शुक्ला

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